श्राद्ध shraadh
तिथि १८ -९-२०२५
Shraddh श्राद्ध
१. अमावस्या की तिथि श्राद्ध की तिथि होती है, एक वर्ष में सामान्यतः १२ अमावस्या होती है | इस तिथि को चन्द्रमा सूर्य से अस्त होता है, अर्थात बलहीन होता है | आश्विन मॉस की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या माना जाता है, इस मॉस के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष कहा जाता है |
2. अमावस्या की तिथि को मध्यान्ह में सूर्य की तरफ मुख करके मंत्र का जाप करते हुए आत्मा के मोक्ष के लिए प्रार्थना करने की प्रथा रही है |
३.महर्षि पाराशर ने अपने ग्रन्थ “बृहत्पाराशर होराशास्त्रम“ के “सृष्टिक्रमकथनाध्याय” में सूर्य को जगत को उत्त्पन्न करने वाले ग्रहों का अधिपति कहा है |
४. सूर्य ही ब्रम्ह है, इसीलिए सूर्योदय {ब्रम्ह के उदय} से पहले के मुहूर्त को ब्रम्ह मुहूर्त कहा गया है| इस ब्रम्ह का अब्यक्त भाग ३/४ है, ये बहुत शक्तिशाली है जो दिखलाई नहीं पड़ता है सूर्य की इस शक्ति के कारण सभी ग्रह अपनी कक्षाओं में स्थापित है | ब्रम्ह का ब्यक्त हिस्सा १/४ है | हमारे सौर मंडल में जो दिखलाई देता है अर्थात ग्रह आदि, वो ब्यक्त ब्रम्ह का हिस्सा है |
५. स्पष्ट है पृथ्वी पर जीवन सूर्य की किरणों के कारण ही है| पृथ्वी की बनावट, इसकी गतियाँ,चन्द्रमा के प्रभाव और सूर्य की किरणों के प्रभाव से पृथ्वी पर वायु मंडल और जल का निर्माण हुआ है | इस जल में सर्व प्रथम जीवन उत्पन्न हुआ है |
६. अतः पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष हेतु अमावस्या के दिन दोपहर में सूर्य की तरफ मुख करके (आंखे बंद करके,सूर्य की तरफ दोपहर में नहीं देखना चाहिए ) गायत्री मन्त्र व् सूर्य के अन्य मन्त्रों का जाप करना चाहिए और दान करना चाहिए
१७: ५९ pm